
कल राष्ट्रिय सहारा दैनिक ने चुनाव सुधार पर एक राष्ट्रिय संगोष्ठी का आयोजन दिल्ली में किया. इस कार्यक्रम की पूरी रिपोर्ट आज राष्ट्रिय सहारा में प्रकाशित है. अब हम बात करेंगे एक ऐसे खबर की जिसे अखबार में जगह नहीं मिली.

यह तस्वीर प्रोफेसर कपिल कुमार की है. वे इग्नू में कार्यरत हैं. कार्यक्रम के दौरान अधिक थकान की वजह से नींद के आगोश में आ गए. पूरे समाज को जगाने के लिए चलाए जा रहे इस अभियान को मंजिल मिलेगी, इसको लेकर आम पाठक आशान्वित कैसे हो, जब इस मुहीम में अगली पंक्ति में बैठे लोग ही सो रहे है? जय हो !!!
2 टिप्पणियां:
मूलत: यह हास्य-व्यंग्य का विषय नहीं बल्कि स्वास्थ्य का विषय है। गर्दन के आस-पास अधिक चर्बी के कारण मोटे लोगों की साँस रात में कई बार रुकती है। इस वजह से उनकी नींद पूरी नहीं होती। फिर दिन में झपकियाँ आती हैं। इन साहेब को चाहिये कि थोड़ा वजन कम करें। http://en.wikipedia.org/wiki/Obstructive_sleep_apnea
समाज को जगाने की ये मुहीम कामयाब होगी की नही ये पता नही लेकिन अभी तो प्रोफेसर साहब को देख कर लग रहा है की समाज जागने की जगह सो न जाये....
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