गुरुवार, 30 अप्रैल 2009
जूता चलने की शूरूआत
मछिन्द्र जी पिछले ढाई सालों से दिल्ली के जंतर मंतर पर जूता मारो अभियान का बैनर लगा बैठे हैं,
अब जूता पी चिदंबरम, आडवाणी. मनमोहन सिंह, नविन जिंदल से होता हुआ यदुरप्पा तक पहुंचा है. लेकिन आपको मानना होगा कि नेताओं को जूते मारने की जो अवधारणा है उसे महाराष्ट्र के मछिन्द्र जी ही समाज के सामने अपने 'जूता मारो आन्दोलन' के माध्यम से लेकर आए.
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आशीष कुमार 'अंशु'

वंदे मातरम
3 टिप्पणियां:
badhiya janakari di hai apne . dhanyawad.
badhiya janakari di hai apne . dhanyawad.
अब रिवाज चालू हुआ है तो जल्द महाराष्ट्र भी नक्शे पर आ ही जायेगा..समय की बात है.
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