![](http://2.bp.blogspot.com/_w0i8ZCWf9H8/SmrdYHYhpQI/AAAAAAAABPY/HXei6Q9s9B0/s320/MAHARASHTRA+160.jpg)
यह तस्वीर - प्रबोधनकार ठाकरे के शिव सेना पूर्व प्रमुख पुत्र- बाल ठाकरे ने अपने पिता के 'समग्र वांग्मय' पुस्तक के आवरण के लिए बनाई थी. उनके पिता प्रबोधनकार ठाकरे विचारों से प्रगतोशील थे. और मेरे दोस्तों ने बताया कि 'प्रबोधनकार' अर्थात मार्ग दिखाने वाला उनका नाम नहीं बल्कि पदवी थी.
5 टिप्पणियां:
बाप कैसा और बेटा कैसा!!
उनकी प्रगतीशीलता का किस्सा सुना है कि वे कह्ते थे सत्यनारायन की कथा मे कथा करवाने से नाव ऊपर आ जाने का किस्सा झूठ है एक बार अंग्रेजों की एक नाव "लुसातानिया" समुद्र मे डूब गई तो प्रबोधनकार जी ने कहा कि मै सवा लाख सत्यनारायन की कथा करवाने को तैयार हूँ मजाल है कि नाव ऊपर आ जाये .
बहरहाल बाल ठाकरे जी बहुत अच्छे चित्रकार है उनके अनेक चित्र सामना मे प्रकाशित हुए है वे यदि राज नीति मे न होते तो एक कलाकार के बतौर विश्व मे ख्याति अर्जित करते . उनके द्वारा बनाये अपने पिता के चित्र मे न केवल कलाकार की कला बल्कि एक पुत्र का अपने पिता के प्रति प्रेम का भाव भी परिलक्षित होता है.सम्भव हो तो उनके और भी चित्र और व्यंग चित्र यहाँ दें ताकि उनके जीवन का यह पक्ष भी प्रकाशित हो सके .
यहा शरदजीने बाळासाहेब के व्यंगचित्र के बारे मे लिखा है! आप http://shivsena.org/100/ लिंक पर जाके साहब के व्यंगचित्र देख सकते हो!
यह चित्र बालासाहब ठाकरेने बनाया नहीं हैं. ये चित्र प्रबोधनकार ठाकरे समग्र साहित्य के पहिले खंडका आवरण चित्र है. इस ग्रंथ के आवरण का ले आऊट बाळासाहबने किया था, इसलिए ये गलतफहमी हुई हैं. इसके चित्रकार है, प्रसिद्ध चित्रकार एस. एम. पंडित.
मेरे खयालसे बालासाहबने प्रबोधनकार का सिर्फ कॅऱिकेचर बनाया है. जो कई पुस्तकोंमें उपलब्ध है. पर बालासाहब के छोटे भाई श्रीकांत ठाकरे ( राज के पिता)ने एक प्रबोधनकार का एक प्रोफाइल पेंटिंग किया हैं, जो मार्मिक के ऑफिस के दिवारोंपर टंगा मिलेगा.
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