मक्खी सिर्फ मारे जाने के काम नहीं आता_ समझे नहीं, आप तो सोच रहे होंगे. मक्खी मारने में रचनात्मक क्या है, यहाँ प्रस्तुत है एक कलाकार मक्खी मार की कलाकारी. यह तस्वीर युवा पत्रकार पूनम ने उपलब्ध कराई हैं.
भई वाह मक्खी मारने में भी रचनात्मकता का समावेश हो सकता है यह पहली बार देख रहा हूं। वाकई अब समय आ गया है कि कहावतों के मायने बदल दिये जाये क्योंकि ..इतनी 'दुर्दान्त और भीषण' किस्म की कलाकारी करने वाले कलाकारों का समय आ गया है ..यों भी आजकल बड़े बड़े लोग मक्खी ही मार रहे हैं शेर का शिकार करने का वक्त जो चला गया .....
अपनी ही कहते रहोगे या मेरी भी सुनोगे सरकार....!!! हम हैं दिल की आवाज़... न किसी का ज़ात जानते हैं, न किसी की औक़ात जानते हैं.... जो सही लगे, बिन्दास बोलते हैं ....
4 टिप्पणियां:
अरे वाह..! गज़ब ... मज़ा आ गया.... पर ये किया कैसे?
amitraghat.blogspot.com
भई वाह मक्खी मारने में भी रचनात्मकता का समावेश हो सकता है यह पहली बार देख रहा हूं। वाकई अब समय आ गया है कि कहावतों के मायने बदल दिये जाये क्योंकि ..इतनी 'दुर्दान्त और भीषण' किस्म की कलाकारी करने वाले कलाकारों का समय आ गया है ..यों भी आजकल बड़े बड़े लोग मक्खी ही मार रहे हैं शेर का शिकार करने का वक्त जो चला गया .....
ये तो बहुत ही जबरदस्त है. :)
laajawab
एक टिप्पणी भेजें