राजस्थान के टोंक जिले के सोड़ा गाँव की सरपंच छवि राजावत की चर्चा इन दिनों मीडिया में खूब है, छवि ने चीत्तुर के ऋषि वेले जैसे स्कूल और दिल्ली के एल एस आर जैसे कालेज से पढ़ाई की. पुणे से एम बी ए करके एक अच्छी कंपनी में नौकरी कर रही थी. यह सब छोड़ कर गाँव लौटना आसान तो नहीं होता. लेकिन उसने यह कठीन निर्णय लिया.
अब गाँव में काम करते हुए छवि की समझ में आ गया है कि एक सरपंच व्यवस्था के आगे किस तरह घुटने टेकने को मजबूर होता है. वह कहती है, सरपंच नाम की व्यवस्था वास्तव में सिस्टम की कठपुतली मात्र है. इसके बावजूद अपने गाँव के हित में छवि इस व्यवस्था से भिड़ने को तैयार है..
4 टिप्पणियां:
ये उन लोगों के लिए सबक है जो सिर्फ पैसा कमाने के लिए ऐसी डिग्रीयाँ लेते है। वैसे कई बार पढ और देख चुका इनके बारें में।
प्रेरक पोस्ट ! पठनीय ! बहुत खूब !!
समय हो तो पढ़ें
क्या हिंदुत्ववाद की अवधारणा ही आतंकी है !
http://hamzabaan.blogspot.com/2010/08/blog-post_30.html
शुभकामनाएं.
भगवान करे मेरी शंका सही न हो कि लोग बस ये सब एक सीढ़ी की तरह प्रयोग करते हैं...
हम जैसे कायरों को इससे अच्छा सबक और कहाँ मिल सकता है. छवि की हिम्मत तारीफ के काबिल है.
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