बुधवार, 6 अक्तूबर 2010

हरियाणा अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में ओमपुरी













राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम हर साल हरियाणा अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में पांच नए निर्देशकों की फिल्में प्रिव्यू के लिए भेजेगा। राष्ट्रीय फिल्म विकास निगम यानी एनएफडीसी के अध्यक्ष और मशहूर फिल्म अभिनेता ओम पुरी ने एक प्रेसवार्ता में यह ऐलान करते हुए कहा कि हरियाणा अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल को हर संभव सहायता देते रहेगे। हरियाणा में यह अच्छी शुरूआत है। इस समारोह के माध्यम सें अंतरराष्ट्रीय स्तर का सिनेमा छोटे शहरों तक पहुंच रहा है। लोगों को ऐसी फिल्में देखने का अवसर मिलेगा, जिसके बारे में उन्होंने कभी सोचा भी नहीं होगा। ओमपुरी ने कहा कि सिनेमा का व्यवसायीकरण हो रहा है। फिल्म नगरी में सार्थक फिल्में कम मात्रा में बनाई जा रही है। इसके पीछे मुख्य कारण यह है कि कमर्शियल फिल्में ज्यादा कमाई करती हैं। अगर टेलीविजन पर उनका प्रदर्शन किया जाए, तो विज्ञापन भी आसानी से मिल जाते हैं। पुरी के मुताबिक पहले फिल्में २५ सप्ताह चलने के उपरांत सिल्वर जुबली मनाती थी, लेकिन अब २५ दिनों में सिल्वर जुबली मना ली जाती है। इसके पीछे मुख्य कारण यह है कि फिल्मों के अधिक प्रिंट रिलीज किए जाते हैं। जबकि पहले ऐसा नहीं होता था। ओमपुरी ने कहा कि डायरेक्टर एक रुपया लगाकर २५ रुपए कमाने की सोचता है। फिलहाल सिनेमा को वह दर्जा नहीं मिला रहा है, जो १९८० के दशक में मिला था। अब सिनेमा सिर्फ मनोरंजन का साधन बनकर रह गया है। लोगों को जागरूक बनानेे में स्कूल व कालेज जितना योगदान दे रहे हैं, उतना ही योगदान सिनेमा दे सकता है। सिनेमा समाज का आईना बन सकता है। उन्होंने कहा कि शुरूआती दिनों में कला से जुड़े लोग सिनेमा की दुनिया में आए थे, जिसमें साहित्य व थियेटर के लोग भी शामिल थे। लेकिन अब सिनेमा का व्यवसायीकरण हो गया है। मनोरंजन वाली फिल्मों को अवार्ड दिए जा रहे हैं, जबकि सामाजिक व सच्चाई से जुड़े सिनेमा को प्रोत्साहन नहीं मिल रहा है। ओमपुरी के मुताबिक फिल्म नगरी में गिने चुने लोग ही सार्थक सिनेमा बना रहे हैं, उसमें विशाल भारद्वाज, राजकुमार हिरानी, प्रकाश झा इत्यादि शामिल है। ओमपुरी ने सरकार को सुझाव दिया कि वह ऐसे लोगों को प्रोत्साहित करे, जो गंभीर सिनेमा बना रहे हैं। उनके मुताबिक सिर्फ पांच फीसदी फिल्में ही अच्छी बन पा रही हैं, इसलिए सिनेमा हाईजेक हो रहा है। पुरी के मुताबिक २५ साल पहले उन्होंने हरियाणवी फिल्म सांझी में काम करने का अवसर मिला था। अगर दोबारा मौका मिला तो वे जरुर करेंगे।

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आशीष कुमार 'अंशु'

आशीष कुमार 'अंशु'
वंदे मातरम