दिनेश कुमार मिश्र जी को पढ़ते हुए यूं लगता है जैसे घर का कोई बुजुर्ग किस्से कहानियों में जीवन का कोई बड़ा रहस्य बता जाए.
'दो पाटन के बीच में' के बाद लोक विज्ञान संस्थान, देहरादून से छपकर दिनेश जी की नई पुस्तक 'बागमती की सदगति' आई है. समय हो तो पढ़िए... शायद यह बागमती का प्रमाणिक इतिहास बताने की पहली कोशिश भी है!
अपनी ही कहते रहोगे या मेरी भी सुनोगे सरकार....!!! हम हैं दिल की आवाज़... न किसी का ज़ात जानते हैं, न किसी की औक़ात जानते हैं.... जो सही लगे, बिन्दास बोलते हैं ....
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