आज पत्रकारिता का चेहरा बदल गया है, आज जो सबसे अधीक लूटता है, दो नम्बर का माल जिसके पास अधीक है, वह सबसे पहले अपना चैनल खोलता है। ऐसा नहीं है आज पत्रकार काम नहीं करना चाहता। वह काम करना चाहता है। लेकिन वह ज्यादा प्रतिबद्धता दिखाता है तो उसे मालिक बाहर का रास्ता दिखा देता है।मैं कई पत्रकारों को जानता हूँ जो नेक हैं, मुद्दों को ठीक तरीके से समझते हैं, लेकिन कोई चैनल या अखबार उन्हें लेने को तैयार नहीं है। आज के मीडिया को सिर्फ समझदार नहीं तीकरमी समझदार पत्रकार चाहिय।
आज का पत्रकार हमारे सामने तो आकर ताल ठोकता है, और मालिक के सामने जाकर दुम हिलाता है। (दैनिक भास्कर के समूह सम्पादक श्रवण गर्ग ने इस बात का विरोध किया। उन्होने कहा कि पत्रकार मलिक के सामने भी अपनी बात उतनी ही हिम्मत से कहते हैं, जीतनी और जगह।)
(यह वक्तव्य एक व्याख्यान माला में श्री यादव के दिय विचारों का संपादित अंश है।)
रविवार, 14 अक्तूबर 2007
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1 टिप्पणी:
Hi Anshu
I visited ur blog and found very interesting. I would love to visit again and again.
Yours
Aabid
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